टिंडे की खेती उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में की जाती है| टिंडे की खेती के लिए गर्म तथा औसत आर्द्रता वाले क्षेत्र सर्वोत्तम होते हैं|
फसल के लिए फरवरी से मार्च एवं वर्षाकालीन फसल के लिए जून से जुलाई में की जाती है|
टिंडे की खेती हेतु भूमि का चयन –
लेकिन बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है| पानी कम या अधिक न लगे इसके लिए खेत को समतल कर लेते हैं|
उन्नतशील किस्में-
1 अर्का टिण्डा,
2 टिण्डा एस- 48,
3 हिसार सलेक्शन- 1,
4 बीकानेरी ग्रीन मुख्य है|
बीज-
टिंडे की एक हेक्टेयर फसल की बुवाई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, रोग नियंत्रण के लिए बीजों को बोने से पूर्व बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करके बोना चाहिए| तैयार खेत में 1.5 से 2.0 मीटर की दूरी पर 30 से 40 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी नालियां बना लेते हैं| नालियों के दोनों किनारों पर 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर 2 सेंटीमीटर की गहराई पर बीजों की बुवाई करते हैं|
खाद और उर्वरक प्रबन्धन-
तैयारी के समय गोबर की सड़ी खाद 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देना लाभप्रद रहता है| टिंडे की अधिक उपज के लिए 80 से 100 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है|
बीज की मात्रा –
टिंडे की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाला, सुडौल, स्वस्थ अच्छी प्रजाति के 4-5 किलो ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है।
सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण –
सिंचाई की संख्या भूमि की क़िस्म व स्थानीय जलवायु पर निर्भर करती है। किसान साथियों टिंडा एक उथली जड़ वाली फ़सल है। इसमें सिंचाई की आवश्यकता अधिक होती है। टिंडे की फ़सल पर पहली सिंचाई अंकुरण के 5 से 8 दिन के अंदर करनी चाहिए। टिंडे में बौछारी विधि से सिंचाई करने पर 28 से 30 प्रतिशत उपज बढ़ायी जा सकती है। साथ ही में विधि से सिंचाई करने पर हम पानी के दुरुपयोग को भी रोक सकते हैं। जल हाई जीवन है। इस बात को हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए। टिंड़े की फ़सल पर पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के दो सप्ताह बाद करनी चाहिए। निराई के दौरान अवांछित खर पतवारों को उखाड़ दें । साथ ही पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ा दें। अधिक खरपतवार की दशा में एनाक्लोर रसायन की 1.25 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर मात्रा का छिड़काव करना चाहिए।
अधिक पैदावार कैसे लें –
टिंडे के खेत में मैलिक हाइड्राजाइड (malic hydrazide) के 50 ppm का 2 से 4 प्रतिशत मात्रा का पत्तियों पर छिड़काव करने पर 50-60 प्रतिशत पैदावार में बढ़ोत्तरी पायी जा सकती है।