भारत देश मे ये एक तरह का एंटी बायोटिक तत्व है जो की सर दर्द ,घाव भरने ,खुजली दूर करने तनाव दूर करने और दात दर्द में रहत देता है और स्किन संबंधी रोगों में चन्दन एक बहु उपयोगी ओषधि की तरह है चन्दन का उपयोग तेल, धूप, ओषधि, इत्र और सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण, में तो होता ही है इसके अलावा चन्दन बहुत ही पुराने समय से आयुर्वेद के उपचार और ओषधि के रूप में भी लिए किया जाता है
चन्दन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
चन्दन की खेती के लिए हमे ऐसी जलवायु का चुनाव करना चाहिये जो की गर्म और शुष्क हो
अगर हम आदर्श तापमान की बात करे तो मध्यम वर्षा वाले और धुप वाले वे क्षेत्र जहा का तापमान 12 °C से 35 °C के बीच का हो
चन्दन की खेती में भूमि का चयन
चन्दन की खेती के लिए हमे ऐसी उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है जिसमे की जल का भराव आधिक न होता हो चिकनी बुलई मिट्टी जिसका की ph मान 6.5 से 7.5 के मध्य में हो
चंदन के बीज
चंदन की नर्सरी लगाकर खेती करने के अलावा हम चंदन के बीज से भी चन्दन की खेती कर सकते है
इसके लिए अगस्त से मार्च तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है इस तरह से चन्दन के पौधे को बढ़ने के लिए 15 से 20 साल तक का समय लगता है ।
चंदन की नर्सरी
चन्दन की खेती में पौधे सीधे तौर पर नर्सरी से लाकर या फिर बीज के माध्यम से भी लगा सकते है
एक एकड़ में हमे करीब 435 पौधो की आवश्यकता होती है पौधों से पौधों की दूरी 10 फुट की होनी चाहिए । बीज रोपण हेतु गड्ढ़े का आकार (45 सेमी × 45सेमी × 45 सेमी) होना चाहिए
इन पौधो को अपने खेत में लगाने के समय की बात करे तो ये हम अप्रैल के अंतिम सप्ताह से अक्टुम्बर तक लगा सकते है।
असली चंदन की पहचान ऐसे करें
असली चन्दन की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है हम चन्दन को किसी ठोस सतह या फर्श पर तब तक घिसते है जब तक की ये गर्म ना हो जाये तब हम देखते है इससे सुगंधित खुशबू आती है जो की पहचान है की चंदन असली है चन्दन की बनी किसी और वस्तु को खरीदने से पहले कोई भी दुकानदार अगर हमे इसकी अनुमति अगर नहीं देता है तो हो सकता है ये चंदन नकली हो ये ही असली चंदन को पहचानने का एक सही और आसान तरीका है।